जीवन ऐसा ही है

और फिर कुछ दिन ऐसे होते हैं, जब आप दुनिया से थोड़ा ऊपर उठना चाहते हैं, किसी ऊंचे स्थान पर जाकर बैठना चाहते हैं, जहां आप वास्तव में दुनिया से उपराम होने का एहसास कर सकते हैं। वहां आपको शहर की सीमाएं भी दिखाई देती हैं, जिन तक पहुंचते-पहुंचते सभी सांसारिक जोड़-तोड़ खत्म हो जाते हैं, और नारंगी आकाश में बस कुछ बिखरे काले बादल दिखाई देते हैं। जहां डूबता सूरज आपको बताता है, कि जीवन ऐसा ही है और आपने अपना काम अच्छी तरह से किया है। यह दृश्य आपको एक मां के आंचल की तरह महसूस होता है, जो आपको उस कड़ी मेहनत के लिए सांत्वना देती है, जो आपने बाजार की व्यस्त सड़कों पर भीड़भाड़ वाली ड्राइविंग परिस्थितियों में खुद को बचा कर चलने के लिए की थी। दुनिया के लिए भले इसमें कोई सराहनीय बात नहीं दिखती होगी, लेकिन वो दृश्य शहर की जानलेवा भगदड़ में से बचकर आपके सकुशल घर लौट आने के बाद मां के द्वारा आपको गले लगा लेने जैसा होता है। 

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